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जो बसंत ना हो पाई वो ऋतू होने से चूक गई
 जिंदगी में सुरक्षा जैसा कुछ नहीं होता
 ये साथ नहीं छोड़ती
नज़रिये मिलते हैं, ज़रा गौर करें हम
 क्या बोरियत इतनी बलवान है?
 क्या आसान बनाने के लिए दूर हो जाना ही बेहतर था?
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