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पिता जी | जो प्यार दिखाते कम और निभाते ज़्यादा हैं
 रिश्तों को सिलने की ज़रुरत है
 जीवन की धुप छाँव में जीवन संगिनी का समर्पण
 बनाने में घंटों लगते हैं और खाने में कुछ पल ही
रिश्ते
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