बाँसुरी


 भले ही हमारे लबों के मिलने से वह जादुई राग नहीं बनती फिर भी मेरा इश्क़ तुम्हारे लिए कभी कम नहीं होता। जब तुम मेरी सांसों से कोई राग बुनते हो, तुम्हारा एक - एक साज़ ज़हन के वो सारे तार छेड़ देता है जिनकी धुन में अनंत संभावनाएं छिपी हैं। तुम साथ हो और साथी भी। वाक़ई बांस की वह बांसुरी मेरी रूह की रूपक है। इसका संगीत हौले से कल्पनाओं को छूता हुआ आँखों के रस्ते भीतर घर बनाता है। हवा का एक झोंका उससे गुजरता हुआ उन लम्हों को जैसे जी लेता है। सबसे खूबसूरत बात हमारे रिश्ते की ये है की इसमें कहीं घुटन नहीं। मुझे इंतज़ार है ... उसके लब मुझे छू के कुछ तराने ज़रूर बनाएंगे …

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