जहां खामोशी रोशन है, सुकून सोया है
दक्षिण भारत के पर्वतों की गहराईयों में भी छिपी हैं अनंत कहानियाँ। जीवन की राहों में पहाड़ों के अस्तित्व, उनके अतुलनीय सौंदर्य और वातावरण के प्रति हमेशा से ही मेरा गहरा लगाव रहा है। इन पहाड़ों के सीने में बसी ख़िलावत को मैंने जब पढ़ना शुरू किया तो लगा जैसे कि पहाड़ों की उच्चाईयों में सिर्फ रहस्य ही नहीं छुपे होते, बल्कि उनमें जिंदगी की चुनौतियों को स्वीकार करने का इशारा भी झलकता है। देखना चाहेंगे मेरे व्यक्तिगत अनुभवों का प्रतिबिम्ब? आइये बताती हूं जीवन के अनुभवों से भरी यह पहाड़ों की कहानी, और साथ ही सुनती हूं उन चोटियों में छुपा अनमोल राज!
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पहाड़, जो सदियों से 'उर्वी' के सीने पर पूरे हक़ से खड़े हैं और गवाह रहे हैं कई हकीकतों के, मेरे भीतर की चाहतों को पुरा करते रहे हैं। दक्षिण भारत की गोद में पांव रखकर अपनी जिंदगी के अगले कदम के बारे में सोचते समय, मैंने एकखुशनुमा एहसास का अनुभव किया - नीलगिरी। दूर से जब इन हरियाली से लकदक पहाड़ों के शरारती चेहरे देख रही थी तभी इनकी बुलंद चोटियों के पीछे छिपे हुए किस्से सोंच रही थी, जैसे कि वो खुद से एक दिलचस्प कहानी कह रहे हों। जी हाँ, वो ऊंची ऊंची चोटियां बहुत बातूनी हैं। उनके पास किस्से हैं गांव के, पहाड़ी बच्चों की शैतानियों के, दूरदराज़ से अपना जूनून जीने आए पर्वतारोहियों के और भी कई ख़बरें से जिंदगी से उत्सवों की। इन पहाड़ों की छायाओं में महक है बदलते जीवन के रंगों की, तरंगों की।
पहली बार इन हरे पहाड़ों के बीच घूमते हुए, मैंने एक अनूठी शांति का अनुभव किया, जो अब तक मुझे किसी और जगह पर नहीं मिली थी। माही के पीछे बाइक पर पहाड़ी कस्बों में बसे लोगों का कच्चापन, सादापन और उनके आत्मनिर्भरता का दृश्य देखकर, मैं एक साधारण और सरल जीवन जीने का तरीका देख रही थी। जो की हमारे शहरी जीवन से बेहद अलग और सुकून में चहक रहा था, एक नयी सी शान्ति लिए। पहाड़ी कस्बों के लोगों की जीवनशैली ने मुझे सराहनीय प्रभाव छोड़ा है। वे जीवन के साथ संघर्ष करते हैं और खुशियों का आनंद लेते हैं।बेहद घने पहाड़ी जंगलों की सुरमई छायाओं में घुसकर, अपनी ही तरह का सौंदर्य, एक अलग ही तसल्ली देने वाला आनंद आपको बूंद बूंद भिगोता है।
मई में जहां राजस्थान झुलसता है वहीं तमिल नाडु के सबसे मशहूर हिल स्टेशन - ऊटी में पहाड़ों के दरमियां चलते हुए, मैंने प्रकृति के अनसुलझे रहस्यों के साथ एक लम्बी सांस ली, और अपने आप को इस विस्मयचकित सृष्टि का नन्हा सा हिस्सा माना। पहाड़ी झीलों के किनारे बैठकर, मैंने अपने आप को एक ऐसे अनुभव में डूबा पाया जो शहरी जीवन में मिल ही नहीं सकता। बारिश में पहाड़ी रास्तों पर निकलते हुए, मैंने अपने अंदर के साहस को जगाया और अपनी घबराहटों को जितने की चुनौती स्वीकार की।
पहाड़ों वाली रातें भी अलग होती हैं यार, सितारों और चाँद को देखकर ऐसी खुशी मिलती है, लगता है जैसे उनकी साथ में हम एक साझी बातचीत कर रहे हों। धरती पर कितनी सुंदरता है, अब मुझे बेहतर समझ आ रहा था। यहाँ पेड़, पौधे, प्याज के खेत, गाँव, लोगों की खुशबू, और चाँदनी रातों में चमकते तारों से जड़े आसमान ने मेरे दिल को छु जाने की कोशिश की। मुझे माही की सोहबत में यह ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत लगने लगी। मैं समझ गयी थी कि जो मैं ढूंढ रही थी ये अनुभव वही निधि है।
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पहाड़ों के बीच यात्रा का आनंद ही कुछ और है। यहां वायु बहुत शुद्ध है और प्रकृति की सुंदरता से लब चूमने का मन करता है। यह अद्भुत वातावरण मुझे सदैव याद रहेगा। मैंने अपनी यात्रा में सीखा कि विश्वास और विरासत का महत्व क्या होता है। वन्यजीवन का आकर्षण भी कुछ अलग होता है। वहां की स्वच्छता, सुंदरता और शांति को देखकर मन चैन से भर जाता है। यात्रा के दौरान मैंने विभिन्न पहाड़ी फूलों के रंगीन बगीचे देखे। उनकी सुगंध और सौंदर्य मेरे मन में बस गए हैं। मैंने अपनी यात्रा में कई विभिन्न प्राकृतिक जलस्रोत देखे। वे शांति और प्रकृति की सौंदर्य का प्रतीक हैं। नीलगिरी की चोटियों से निकलती हुई धूप ने मुझे अद्भुत सौंदर्य दिखाया। वे दृश्य मेरी रूह को छु गए।
पहाड़ों की ऊँचाईयों से नीचे झांकने पर बहती पतली ही नहर दिखती। इन्ही नज़ारों के बीच जंगलों का मनमोहक नजारा ऐसे लगता जैसे प्राकृतिक शिल्पकला की अद्भुत रचनाएँ हों। ध्वनियों से भरी वनों की गहराई और जीवन की जमीन पर समाये नीले अंबर का विचार मुझे मंत्रमुग्ध कर गया। इन पहाड़ों की ऊँचाई के कारण इसका वातावरण शीत और शीतोष्ण होता है।
उर्वी - पृथ्वी
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