मन महकेगा - कायनात महकेगी

क्यूंकि सब हमारे ही हाथ में है 

attract good things in life

हर ख्याल, हर सोच, हर परिस्थिति, हर हालत में, हर बात में, एक आकर्षण - एक खिंचाव सा होता है। ये अपने ही तरह की बातों, खयालों, विचारों, हालातों को खींचता है। गुरुत्वाकर्षण भी तो एक इसी तरह का आकर्षण है। अगर लड़खड़ाए तो गिरना लाज़मी है, चाहे जो कर लो। अगर अपने प्राकृतिक स्वरूप में हो तो (पृथ्वी) उर्वी के खिंचाव को नहीं रोक सकते।

बस कुछ ऐसा ही आकर्षण हमारे मन में अनायास ही आ जाते ख्यालों का भी रहता है। हमारे भीतर की महक (हमारा रवैया और विचार) हमारे बाहर की फिजा (हमारा काम और व्यवहार) को रोशन करती है। गौर कीजिएगा, जैसे ही कोई नकारात्मक सोच ने मन के दरवाजे पर दस्तक दी, वैसे ही मन के अनंत कमरे मेंअलसाए पड़े नकारात्मक विचार उसके स्वागत में एक के बाद एक प्रस्तुत होने लगते हैं। और देखते ही देखते निराशा की धुंध हमें घबराहट की  चादर हमें उड़ा देती है। 

जो लगातार बेचैन हैं, तनावग्रस्त है, कुंठित हैं, उनके लिए खुशियों की अपेक्षा करना व्यर्थ है। खुशियां आएंगी किस प्रांगण में? जहाँ उदासीनता, अकेलापन और तनाव लगातार चक्कर काट रहे हैं! मुस्कान के स्वागत के लिए सुकून का मौसम भी तो होना चाहिए। 

अब इसी बात को उलटकर देख लेते हैं। किसी उन्मुक्त गगन के गुनगुनाते पंछी को दुख को आमंत्रित करता नहीं पाया जाता। दुख एक कमतर ऊर्जा है। यह उल्लास के आगे हार जाती है। चलिए उदाहरण लेते। सुबह उठते के साथ ही आप एक खुशनुमा ख्याल लेकर आईने के सामने खड़े होते हैं। तो मन अपने आप ही हल्की मिठास से भर जाता। तन भी गुनगुनाने लगता है। अच्छी नींद होने से आंखें चमकती है। और खुशखबरी यह है की पूरा दिन बेहतर बीतेगा, इसका अंदाजा हमें हो जाता। 

यह पिक्चर कुछ यूं भी हो सकती है। कि किसी पुराने दबे खयाल की वजह से रात भर बेचैनी पसरी रही खाट पर। घड़ी देखकर रात काटी। सुबह उठते ही उदासआँखों से अपनी  लटकी सूरत आईने में देखी तो चेहरे पर पड़ी झुर्रियां भी ढीली होती दिखी। और उम्र के निशान हमें और ज्यादा चुभने लगे। आंखो की चमक गुम थी। ऐसे में वह ऊर्जा जो दिन के पहले मिनटों में चाहिए, नहीं थी। फिर बहुत मुमकिन है कि पूरा दिन उदासी और अवसाद के कोहरे में बीते। 

फूल सुबह ही खिलते हैं ताकि अपनी तरफ पहली नज़र डालने वालों को, यह बता सके की खिलकर नएपन और ताजगी को आकर्षित करे, आमंत्रित करें। चिड़िया चहचहाते हुए बताती है, कैसे जिंदगी में कलरव को आकर्षित करें। सुबह की हल्की ठंडी हवा, नए अहसासों को जगाने के लिए छूकर बहती है। खिलो - खिलखिलाओ। मन महकेगा -  कायनात महकेगी। इस वक्त जीने के लिए यह ज़रूरीयात है। 



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