कारगर है सकारात्मक तस्वीरों से कल की परिकल्पना | Affirmative Visualization

अगर शिद्दत से सोंचा है तो होना ही है 

भविष्य में जो खूबसूरत होने वाला है, कल्पना उसी की झलक है   

the power of visualization psychology


बेहद कारगर तकनीक है कल्पना। ये जन्म लेतीं हैं हमारे दिमाग में। यहाँ तस्वीरों से ही किसी व्यक्ति को या हालात को देखा और सोंचा जाता है। हम जब भी कोई परिस्थिति के बारे में सोंचते हैं तो हमारा दिमाग उसका एक खांका सा बना लेता है और लगातार यही सब सोंचता रहता है। अब हम सोंचते कैसा हैं - अच्छा या बुरा, वो तो हमारा इनपुट है दिमाग को। आगर हम पुरानी परेशानियों या दुखों के अनुभव को आधार बनाते हैं तो उससे बनी नकारात्मक कल्पनाओं में फंसकर रह जाते हैं। तब ही तो हमे अपने कल की तस्वीर में चटख रंग नहीं नज़र आते। 

कल्पनाएं बेवजह नहीं होतीं। उनका भी आधार होता है। अगर हम चाहते हैं की वे समय से साकार हों तो हमे उन्हें पुख्ता आधार देना होगा। तो अगर मकसद है तो उसकी सकारात्मक तस्वीरें भी मन की आंखों में बनाइये। फिर रास्ते अपने आप बनने लगेंगे। हाँ ये जादू जैसा लगता है पर है विज्ञान। RAS (Reticular Activating System) इसमें हमारी नज़र अपने आप ही उन रास्तों को ढूंढ लेती है जो हमारे कल की तस्वीरों से मिलती हैं। 

अगर हम अपने लक्ष्य को लेकर गहराई से सोंचते हुए, उन दृश्यों को अभी से देखने और महसूस करने लगें और बार बार अपने ख्यालों में दोहराएं, उसे पाने के लिए अपनी कोशिशें पूरी शिद्दत से करने में जुट जाएँ और ये सोंचे की उस लक्ष्य को पा लिया है तो यकीनन हम सही समय से उसे पा लेंगे। ऐसा लोगों ने किया है इसलिए इसे हम-आप भी कर सकते हैं। 

सबसे पहले अपना सुपर कम्फी कम्फर्ट जोन छोड़ना पड़ेगा। फिर मकसद पाने के लिए तस्वीर बनानी होगी और उसके साकार होने का समय तय करना होगा। पूरा होने की उम्मीद के आगे सोंचना है - पूरा ज़रूर होगा और इसी भाव के साथ तैयारी करने  कोई कसर नहीं छोड़ना। यही विधि है लक्ष्यों को साकार करने की।    
Reactions

Post a Comment

0 Comments