विवाह नए रिश्ते जोड़ता है

दो नए परिवार मिल रहे हैं 

indian wedding


रिश्तों की अंतराक्षरी खेलने की बारी आयी - शादी का प्रसंग है। इसमें हर सदस्य किसी ना किसी नए रिश्ते की डोर में उत्सुकता से खुद को पिरोता है। जो नया है उसे जानने की जिज्ञासा तो रहती है। और जब रिश्ता ही नया बन रहा हो तो क्या कहने! 

यह एक अनूठा मौका होता है जब घर के लगभग सभी रिश्ते - नाते साथ आते हैं, मिलते हैं। ननिहाल - ददिहाल, सब। कुछ से तो सालों बाद मुलाकात होती है। उस एक (दुल्हन या दूल्हा) को ख़ास तवज्जो मिलती है इस अवसर पर। साबका असीम प्यार, परवाह, आशीर्वाद एक साथ फिर कब मिलना नसाब होगा एक साथ। 

यह सबके साथ का समय जिसमे अपार आनंद, मस्ती और ढेर सारी मौज कुछ दिनों का पर्वी उत्साह है। रात-रात भर लम्बी बातों के दौर, जब-तब होते रहते हंसी - मज़ाक, सबका सज-धज के तैयार होना, अच्छा दिखने के लिए प्रयास करना, बजते रहने वाली ढोल की थापें, रंगीन दुपट्टों - झालरों, फूलों की सजावट के बीच बैठ कर घर की महिलाएं शादी के गीत गातीं, पकवानों की महक, और नए परिवार से मिलने का कौतुहल भरा उमंग-उत्साह। कितना खुशनुमा है ये सब!

जब ये सब हो रहा होता है तब इसका अहसास नज़र नहीं आता और फिर जैसे जैसे सब सम्पन्न हो जाता है तब लगता है वक़्त कहां फिसल गया। इस से जुडी यादें हमेशा के लिए हमारे दिल में बस जाती हैं, भीगी मुस्कानों की शक्ल लिए। तस्वीरें उन्हें और जीवंत बना देती हैं। 

विवाह अपने आप में एक मेहमान ही तो है। इस कुटुंब को पूरा मान दें। रस लें। चिंताओं में इन मीठे अनुभवों को हवा होने से बचा लेना। इस त्यौहार रुपी प्रसंग में अपनी सौ प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराएं।     

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