वे जो जिंदगी को गुनगुना जाते हैं

आज गालो मुस्कुरा लो, महफिलें सजा लो 

ग्वाले दूध दूहते हुए गीत गाते हैं। स्त्रियां खाना बनाते समय गुनगुनाती हैं। माँ भजन गाते हुए धनियां साफ़ करती है। जो रम जाते हैं गुनगुनाने लगते हैं। ये काम की ऊबन को भुलाने का तरीका नहीं बल्कि काम में मन को ख़ुशी से लगाने का ज़रिया है। मल्लाह जब गीत गाते हुए नाव खेते हैं तो उस पर सवार लोग भी अपनी कोमल कल्पनाओं में गोते खाने लगते हैं। ऐसे मेहनतकश अपनी भावों को शब्दों में पिरो लेते हैं, बनते-बनते गानें बन जाते हैं। मतवाले होते हैं ये, इनके पास हुनर है अपने मनोभावों को सुरीला रंग देने का। 

नाविक जब दुःख में होता है, तब भी वह अपनी संवेदना को लय और ताल देकर एक भावनात्मक राग का सृजन करता है। वो अपने चप्पू से पानी को ठेलकर नाव के लिए रास्ते बनाता है जैसे अपने जीवन की तकलीफों को बाजू कर जिंदगी को आगे बढ़ा रहा हो। सुबकते सपनों पर एक स्त्री सिसकियाँ लेती है तब उसकी वेदना-संवेदना भी कविता बन जाते हैं। चरवाहा अपनी बंसी बजाते हुए, गाते हुए गाय-भैंस, बकरियों को ले जाते हैं। जाने कैसे गा लेतें हैं भोले परिवेश के ये लोग? 

शहर में, हमारे यहां, ब्रेड वाले अंकल भी अपना लोक गीत अपनी तीखी आवाज़ में गाते हुए साइकिल पर कॉलोनी से कॉलोनी में जाते हैं। लोग उनकी आवाज़ सुनकर ही अपने दरवाजों पर आ जाते हैं। दूद वाले भैया भी यूँ ही गीत गाते हुए घंटी बजाते हैं घर की। 

ये दीवाने गानों से जीवन संगीत सुनाते हैं। ये वे लोग हैं जो काले बादलों को देखकर गा उठते हैं। जो बरस गए तो गा उठे, ना भी बरसे तो गीत गा कर उन्हें बरसने को मजबूर कर देते हैं। कुछ ऐसे ही तो जिंदगी की तस्वीर होती है,  आनंद का इंद्रधनुष चमकता है तो कभी जिंदगी की तपिश हमे आजमा भी लेती है। जिंदगी का जायका बना रहे इसके लिए दोनों की दरकार होती है। 

धूप में पेड़ की छांव तलाशते, बारिश में दुकान के सामने की जगहखड़े हो जाते, आंधी में आड़ ढूंढते हुए लोग इसी मंत्र को जीते हैं, जिन्हे हम अब किताबों में पढ़ रहे हैं। यही तो गाते हैं, हर परिस्थिति में। कुम्हार जब मिटटी को बर्तनों का स्वरुप देते हैं, बुनकर जब रेशमी साड़ियां बनाते हैं, शिल्पकार जो मौन पत्तरों में जान दाल देते हैं, ये सब जीवन संगीत की धुन पर गुनगुनाते हैं।  

मेहनत करने वाले तो बहुत सारे हैं, सब जगह, पर गाते क्यों नहीं?  

जनाब, वो इसलिए क्यूंकि गाते वे हैं जो जानते हैं की आज में ही ख़ुशी है, और अगर दुःख है तो भी आज का ही है, बस। वे कल का ना सोंचते हैं और ना ही इंतज़ार। 

 

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