बोर हो रहे हो क्या?

 बोरियत हावी है 

Are you getting bored or frustrated?



ऊब जाना, आजकल यह आम है। ज़्यादातर सभी इस से रूबरू हो गए हैं। जिस किसी से मिलो, बोरियत की शिकायत करता मिलता है। सीरियल देख लिया, कोई विडिओ देख लिया, अखबार पढ़ लिया, फेसबुक-व्हाट्सऐप कर लिया, फ़ोन पर बतिया भी लिए, सब कर लिया। पर ऊब मिटती नहीं। 

हमे ऐसा लगता है की सामने वाला कुछ कर दे ऐसा जो हमारी ऊबन दूर हो। या जिंदगी में कुछ नया और अनुकूल हो जाये तो नीरसता खत्म हो। अपनी दिल बहलाव के लिए हम किसी और पर या किसी चीज़ पर निर्भर क्यों हैं ! जो व्यक्ति या परिस्थिति हमारे हाथ में नहीं, उस पर निर्भरता हमारे मन पर मुस्कराहट कैसे लाएगी ? 

क्या है बोरियत ?

चलिए समझा जाए ~  

यूं तो मोबाइल और इंटरनेट ने सबकुछ हमारे हाथ में दे दिया है, गाने-तराने, सिनेमा, कॉमेडी, ड्रामा, ज्ञान, मनोरंजन से लेकर सुविधाएं और भी बहुत कुछ। बावजूद इन सब के हम बोरियत से खासा परेशान हैं। 

भटकता मन अनेक भाव लाता है, वहम - डर - बेचैनी - उदासीनता - नीरसता। जब भीतर ये सब घर बना लेते हैं तो वहां इत्मीनान - सहजता - स्नेह - उत्साह - हौसला ..... कहां और कैसे रहेंगे ? बस उसी उदास कोठरी में पनपती है बोरियत। जो हमे कहीं सुकून से रहने हरगिज़ नहीं देती। जब हम किसी साधन या इंसान के साथ खुश नहीं हैं तो कुछ भी या कोई भी हमे उलझन में ही डालेगा। 

जैसे मन का काम ना करना ऊब को बढ़ाता है वैसे ही जीवन में किसी स्पष्ट लक्षय का ना होना भी जिंदगी जीने के मज़े को खंरोंचता है। 

ऊबना कोई नहीं चाहता, लेकिन अगर ऊबता है तो इसका मतलब वह अपने मौजूदा हालातों से खुश नहीं है। स्मार्ट फ़ोन हाथ में होने पर भी नहीं। दिल बहलाव के साधनों की आसान उपलब्धता भी उबा देती है। धीरे धीरे यह व्यक्ति को नकारात्मकता की तरफ मोड़ देता है, फिर चिड़चिड़ापन जल्दी हावी होने लगता है। काम में रुचि नहीं रहती। आखिरकार डिप्रेशन। 

तो क्या किया जाए ? 

कुछ नया सोंचा जाए, कुछ नया बनाया जाए, कुछ नया किया जाए। अपनी कल्पनाओं में झांका जाए। उन्हें पूरा करने की शुरुआत की जाए। खुद को आजमाया जाये। 

जो अगर किसी का इंतज़ार करना लम्बा हो जाए, तो कोई गाना सुना जाए। या फिर पास बगीचे में टहला जाये। ट्रेन अगर लेट हो तो पास बैठे सहयात्रियों से ज़रा बतिया ही लीजिये। 

बड़े - सयाने कह गए हैं,

"अगर तुम जिंदगी से ऊब चुके हो तो फिर खुद को किसी ऐसे काम में झोंक दो जिसमे दिल से यकीन रखते हो, उसके लिए जियो, उसको पाने के लिए लड़ो। तब तुम वो ख़ुशी पा लोगे जो तुम्हे लगता था की तुम्हे नहीं मिल सकेगी।"


कुछ सुझाव ~ 

घर में नए फूलों का गमला लगाइये। 
बालकनी में चाय की चुस्कियों संग रेडियो पर गाने सुनिए। 
पास के बगीचे में टहलने का सिर्फ सोंचिये मत, उठकर जूते पहनिए और चल दीजिये।
अगर बचपन में नृत्य का शौक कभी हुआ करता था, तो बहाने छोड़िये, मनपसंद गाना लगाइये और थिरकना शुरू करिये। कोई नहीं हंसेगा, सब सराहेंगे। और जो अगर हसे भी तो भी क्या फर्क पड़ता है। 
घर की सजावट बदल कर देखिये। 

 

  
    
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