कल्पनाओं को पंख देती कहानियां

चलो ढूंढ लाएं वो बचपन का सावन 

झील के पास, पहाड़ों के ऊपर, उस परीलोक में ले चलती हैं कहानियां जो कभी देखा ही नहीं 

why story books are better than cartoon network


बात ज्यादा पुरानी नहीं है जब रेलवे स्टेशन पर किस्से-कहानियों की किताबों से लदे ठेले लिए विक्रेता गाड़ी के डब्बों की खिड़कियों पर आ जाया करते थे। खूबसूरत सुनहरे बालों वाली राजकुमारियों, कोट के अंदर से कबूतर निकल देने वाले जादूगरों, आग उगलते ड्रैगनों, बातें करने वाले जीव-जंतुओं की बड़ी बड़ी तस्वीरें सीट पर बैठे बच्चों की उत्सुकताओं को जगा देती। 

ज़रूर आप भी नहीं भूले होंगे पुराने गुलाबी शॉल में लिपटी, लम्बे घुंघराले बालों वाली उस मासूम लड़की को जो नदी किनारे गेंदे और मोगरे के फूलों की टोकरी लेकर बैठा करती थी। 

आखिर कहां गई वो रंग-बिरंगी किताबें जहां घने जंगल से होकर जो रास्ता जाता था वो दूर पहाड़ों के ऊपर उस परीलोक में पहुँचता जहां जादुई बातों से दरवाजा खुलता था। उस दरवाजे के अंदर रखें चमकीले हीरे-जवाहरात का कौतुहल सहज ही नन्हे मन को हो जाता था। 

जब कल्पनाएं शब्दों के उड़नखटोले पर बैठती है तो सभी को मनचाहे तरीके से कहानियां बुनने का मौका देती है। 

 कहानियां तो अब भी हैं, और हमेशा ही रहेंगी, इस दुनियां में जहां हर पल कुछ न कुछ रोचक होते रहता है वहां किस्से-कहानियों का कैसा अभाव हो सकता है भला? और भारत जैसे देश में तो कतई नहीं। पर वो किताबें जो इन कहानियों का घर होती हैं, वो कुछ खो सी गयी हैं, उन्हें वापस लाने की दरकार है। 

जिन कहानियां को बच्चे आज स्क्रीन पर देखते हैं उनमे तो चित्र हैं, ऐसे में कल्पनाओं को मौका ही नहीं मिलता।  बारिश होने पर आजकल खिड़कियां बंद कर दी जाती हैं, तो नन्हा केवट अपनी कागज़ की नाव कहां चलाएगा?  अमराई में झूले डालने की बात ही छोडो, क्यों की पौधों की जगह कार पार्किंग ने ले ली है। बच्चों को महापुरुषों की कहानियां कौन सुनाएगा? वो झुर्रियों वाली अम्मा को तो लोग आजकल ओल्ड वुमन बुलाते हैं। 

लम्बी ज़िन्दगी के लिए छोटी कहानियों की बड़ी ज़रुरत है। कहानियों के ऐसे किरदार जो जिंदगी के फलसफे बता दिया करते थे। बड़े वफादार थे वे। बहुत कुछ सीखा गए। आज इनकी ही तो कमी ही। आज भी बच्चों को इनकी ज़रुरत है। तो क्यों ना उन किताबों को इनकी नन्ही हथेलियों में रखा जाये, ये उत्सुक आंखें जब कल्पनाओं के गोते लगाएंगी तो सहज ही जीना सीख जाएँगी। जी हां, कहानियां वो चाबी है जो बंद जिंदगियां खोल देती हैं।  


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