प्यार, परवाह क्यों नहीं बनाया?

इस संक्रमण से बचने की ज़रुरत नहीं! 

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कोरोना जब आया था तब हम सभी के सुनने में कुछ ऐसा आया था की यह वायरस बनाया गया है। एक ऐसा वायरस जो धीमे धीमे नयी शक्ल लेता रहता है विनाश के नए आयाम बनाने के लिए। ऐसे में एक खयाल आता है की (अगर) बनाने वाले ने प्यार फैलाने का वायरस बनाया होता तो। उसे ख़ुश वायरस कहते। जहां जाता प्यार फ़ैल जाता। नफ़रतें, कुंठाएं, ईर्षा, उदासीनता मिट जाती, बस प्यार से गली-मोहल्ले महकने लगते। लोगों के चेहरों पर मुस्काने अंकित होने लगती। सब हँसते-खिलखिलाते, ठहाके लगते की मुंह दुखने लगता। 

टीवी पर ख़बरें आती की इस वायरस का नया वैरियंट आया है जो परवाह करने को प्रेरित कर रहा है। संक्रमित जगह पर लोग हमे पौधे लगते हुए, आसपास की सफाई करते हुए, जानवरों को खाना खिलते हुए दिख जाते। फिर हम अपने सोशल मीडिया पर पढ़ते की वायरस का एक नया म्युटेंट आया है जो दान देने के लिए विवश कर रहा है। साइड इफेक्ट्स सुनने को मिलते की कहीं पर आपसी प्यार और बढ़ गया है।  सूचकांक नयी उचाइयां छु रहा है। 

ऐसा क्यों नहीं हो सका की कोई ऐसा वायरस बना कर फैला देता दुनियां में। जो अगर खुशियों की महामारी फैलती तो कोई बचने की कोशिश क्यों करता? 

इस वक़्त अगर कोई ऐसी चीज़ है जो दुनियां के आखरी समृद्ध इंसान की भी बड़ी ज़रुरत है वह है प्यार, लगाव और कद्र। ये सांसों से भी ज़्यादा ज़रूरी है। आज लोग हर मुमकिन कोशिश करके हर संभव प्रगति पा लेने में सक्षम हैं, पर भीतर के खालीपन को भरने में नहीं। आखिर कहाँ चूक हो गयी। बिल गेट्स, जेफ़ बेजोज, टाइगर वुड्स, मलाइका अरोरा, करिश्मा कपूर, बहुत बड़ी लिस्ट है आगे। इनकी ज़िन्दगी देख के कुछ ऐसा ही समझ आता है।  एक इंसान बेहतर जीने के लिए जो सपने संजोता है, वह  है, फिर क्या खाली रह गया जिसे भरना इन सबके बस में ना आ पाया? भावनाएं - जो हमे सामने वाले से जोड़ देती हैं। 

समझते तो हम सारे ही हैं पर फिर मनहूस अहम् आड़े आ जाता है। इसलिए तो प्यार करना भी आसान नहीं होता। इसके लिए भी अगर किसी वायरस को बनना पड़े तो भी बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ेगी। क्यूंकि वो कई बार रूप बदलेगा। हर बार साकारात्मक सकंक्रमण लाये इसके लिए बहुत कोशिशें करनी होंगी जो बिलकुल भी आसान नहीं होती। जो अगर ऐसा हो जाये तो आंसूओं के ज़लज़ले नहीं, मुस्कुराहटों के बगीचों हमेशा बसंत बनाये रखेंगे। 

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