क्यूंकि बिना कहे भी सुनाई दे जाता है

 मौन प्रतिक्रिया हमारे पास हमेशा होती हैं 

how does a messy room affect you


हम कैसे हैं, कैसे रहते हैं, क्या करते हैं, कहां चूक करते हैं, इन सबका मौन विश्लेषण हर समय हमारे पास होता ही है। हमारी ठुंसी हुई अलमारी, टेबल पर मची अव्यवस्था, फाइलों के कागज़ों में उथल-पुथल,  सामानों में आया भूचाल  ...... ये सब फीडबैक ही तो है। यह सब हम भी देखते हैं, जानते है पर करते कुछ नहीं। और अगर इन्ही बातों पर कोई टोक दे तो फट से बुरा भी मान लेते हैं। जबकि अंदर से हम जानते ही हैं की बात तो सामने वाला सही ही कर।  पर हमारा 'लाडला' अहम जो आड़े आ जाता है। 

ठीक ऐसे ही हम यह भी जानते हैं ही हेलमेट पहनना कितना ज़रूरी है, खुद की  सुरक्षा के लिए, पर लगाते नहीं। मास्क, सोशल डिस्टैन्सिंग, अपने साथ-साथ दूसरों को भी कोरोना से संक्रमित होने से बचाएगी, पर आलस या ढीले रवैये के कारण अक्सर पालन नहीं करते। 

ये जो मौन फीडबैक है ना, ये बहुत कुछ बता देता है हमारे बारे दुनियां को। वो सब जो हम छुपाना चाहते हैं। बड़ी सरलता से हमारे व्यक्तित्व के सारे राज खुल जाते हैं इस तरह। 

जो लोग सलीके से रहते हैं, नियमों को मानते हैं, यह मौन फीडबैक उनके व्यक्तित्व के बारे में भी उसी तरह से बताता है। कुछ लोगों के घर साफ़-सुथरे, जमे-जमाये वहीं कुछ के जैसे किसी बवंडर से गुजरे से लगते हैं। कोई सलीके से जीता है और कहीं  यह बिलकुल ही नदारद होता है। यह सब फीडबैक ही है। 

व्यवस्थाएं स्थापित करना, व्यवस्थाएं बनाये रखना, इन दोनों की प्रेरणा हम खुद से लेंगे तब ही होगा। इसलिए कोई कहे ना कहे पर एक मौन फीडबैक व्यक्ति के मन में ज़रूर बन जाता है। कई बार सामने वाला आपके व्यक्तित्व को पढ़ने के बाद उसके अनुकूल ही आपसे व्यवहार करता है। साकारात्मक हो तो अच्छा लगने वाला आचरण मिलेगा, विपरीत हो तो हो सकता है उसका आचरण आपको भी ना भाये। 

तो जिस तरह के फीडबैक आपको मिल रहे होते हैं उसके अनुसार कोई बदलाव लेन की दरकार हो तो यह करना, अच्छा और सस्ता उपाय है अपने व्यक्तित्व को निखारने के लिए। तो बुरा मान कर या नज़रअंदाज़ करके देरी क्यों करनी?

  

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