दोस्त बदलते हैं


दोस्तों
मुझे ये बर्थडे ग्रीटिंग कार्ड मिला अपने पुराने फ़ोल्डर्स को खंगालते हुए। और मैं सीधे चली गयी अपनी 9th क्लास में जब मुझे मेरे जीवन की पहली 'सहेली' मिली थी। यह कार्ड उसी ने मुझे उस साल दिया था जन्मदिन पर। साथ में उस वक़्त के गानों की एक सीडी भी थी जिसे जिजा (उसकी बड़ी बहन) ने अपनी प्लेलिस्ट में से बनाया था। उस वक़्त मैं ये दोनों चीज़ें पा कर बेहद खुश थी।


कार्ड मुझे इतना पसंद आया की लम्बे समय तक यह मेरी रूम की शोभा बढाता रहा। अभी इसे देख कर और पढ़ कर आप भी मेरी बात से इत्तेफ़ाक़ रखेंगे। और गानों को तो ना जाने कितनी ही बार सुना था। किशोर कुमार,लता दी वगैरह के पुराने नग्मे भी थे उसमे।
खैर, ये कार्ड आज फिर से पढ़ा, फिर से महसूस किया। जिसने दिया था उसके साथ भी अच्छी निभी पर एक वक़्त से सब रुक गया है। रुक गया या छूट गया है, इसका confusion है। छूट गया है, ये मान लेना ज़्यादा दुखी करेगा इसलिए रुक गया, ऐसा ही मान रही हूं। क्या है ना, दुसरे वाले भाव में उम्मीद है।


चुनाव अच्छा था उसका। उसने भी कुछ अपनी तरफ से लिखा था। आपको दिख नहीं रहा होगा क्यूंकि कार्ड का लुक ना बदले इसलिए उसने भूरी स्याही से लिखा। क्या लिखा था ? --- Be just as you are. Do not care what the world says.
तो अब हम दोनों साथ क्यों नहीं हैं ? आपके ज़हन में यह सवाल आ रहा होगा। हम साथ ही थे जब तक हमारे बीच में सम्मान और प्यार बराबर था। मुझे लगता है किसी भी रिश्ते में इन दो भावों की ही अहमियत है। जैसे ही रिश्ते से सम्मान, प्यार और क़द्र दूर हो जाते हैं, टकराव की स्थिति आती है। तब हम या तो हमारे रिश्ते को बचा लेते हैं या हमारे अहम को।
मैं यही सोंचती हूं की उसने हमारे बीच किस का चुनाव किया .........
दोस्तों, ये अनुभव अकेले मेरा नहीं है। हम सबने अपनी ज़िंदगियों में ऐसा कुछ अनुभव किया है और करते ही रहते हैं।
मैंने सीखा है की हमे दोस्त बदलने की ज़रुरत नहीं पड़ती, अगर हम यह समझ लें और स्वीकार कर लें की दोस्त बदलते हैं।
चलिए, बाकी सब बाजू करते हैं। और कार्ड पढ़ते हैं। और जानते हैं मैजिक मंत्र टू स्टे एवर यूथफुल 😃



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