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क्यूंकि कहानियां बचपन को पूरा करती हैं और परवरिश को सार्थक
 मावठ | सर्दी की बारिश
खुशलम्हे तो यूं ही मिलते रहते हैं
नज़रिये मिलते हैं, ज़रा गौर करें हम
 महक और यादें
ऊब
 रेल
 लफ्ज़
 दबी छिपी ज़िन्दगी में रवानी का रविवार
 कहां हैं वे फूल, वे किताबें कहां हैं?
 दीवार में एक खिड़की रहती है
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